राजस्थान सरकार ने पंचायत चुनाव को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। इस फैसले के तहत राज्य सरकार ने उन सरपंचों का कार्यकाल बढ़ा दिया है जिनका कार्यकाल जनवरी में समाप्त होने वाला था। सरकार का यह कदम “वन स्टेट वन इलेक्शन” के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अहम है। इस आदेश के बाद, अब 6759 ग्राम पंचायतों के सरपंचों को प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाएगा और साथ ही प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रशासनिक समिति का गठन किया जाएगा।
सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय
राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों के लिए राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जिन सरपंचों का कार्यकाल इस महीने के अंत तक समाप्त हो रहा था, उन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाएगा। यह निर्णय इस कारण से लिया गया है ताकि आगामी चुनावों में एक साथ सभी पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव आयोजित किए जा सकें।
सरकार ने यह कदम मध्य प्रदेश मॉडल को अपनाते हुए उठाया है, जो पहले कई भाजपा शासित राज्यों में लागू किया गया था। इसके तहत वर्तमान सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा और प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक प्रशासकीय समिति का गठन होगा। इस समिति में उपसरपंच और वार्ड पंचों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।
प्रशासनिक समिति का गठन
प्रशासक द्वारा ग्राम पंचायत के कार्यों का संचालन किया जाएगा और उनकी सहायता के लिए एक प्रशासनिक समिति बनाई जाएगी। इस समिति में उपसरपंच और वार्ड पंचों को सदस्य बनाया जाएगा, ताकि पंचायत के कार्यों को सही ढंग से चलाया जा सके।
इसके अलावा, राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 95 के तहत इस आदेश को लागू किया गया है। इस निर्णय का उद्देश्य पंचायतों के कार्यों को बिना किसी रुकावट के सुचारू रूप से चलाना है। प्रशासनिक समिति और प्रशासक पंचायत के वित्तीय कार्यों और खाता संचालन को देखेंगे, ताकि पंचायत के विकास कार्य जारी रहें।
वन स्टेट वन इलेक्शन के लक्ष्य की दिशा में कदम
राजस्थान सरकार का यह कदम “वन स्टेट वन इलेक्शन” के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस मॉडल के तहत राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सभी पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, ताकि चुनावों के अंतराल को कम किया जा सके और प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी जा सके।
राजस्थान में कुल 11000 से अधिक ग्राम पंचायतें हैं, जिनका कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होता है। वर्तमान में, 6759 पंचायतों का कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है, 704 पंचायतों का कार्यकाल मार्च में समाप्त होगा, और 3847 पंचायतों का कार्यकाल सितंबर से अक्टूबर में खत्म होगा। इन चुनावों के बीच के अंतराल को कम करने के लिए प्रशासक नियुक्त किए जा रहे हैं।
क्या है प्रशासनिक समिति की भूमिका?
प्रशासक के साथ मिलकर प्रशासनिक समिति का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पंचायतों के कार्यों में कोई रुकावट न हो। इस समिति के सदस्य, जो उपसरपंच और वार्ड पंच होते हैं, प्रशासक को पंचायत कार्यों के संचालन में सहायता प्रदान करेंगे। प्रशासनिक समिति को वित्तीय शक्तियों और खातों के संचालन का भी अधिकार होगा, जो ग्राम विकास अधिकारी द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा।
सरकारी आदेश का महत्व
राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 95 के तहत राज्य सरकार ने जिला कलेक्टरों को यह आदेश दिया है कि वे संबंधित ग्राम पंचायतों में कार्यकाल समाप्त होने के बाद तुरंत प्रशासक नियुक्त करें और प्रशासनिक समितियों का गठन करें। इस फैसले से पंचायतों के चुनावों में एकरूपता आ सकेगी, और विभिन्न चुनावों के बीच का अंतराल घट सकेगा।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार के इस निर्णय से पंचायत चुनावों की प्रक्रिया में बदलाव आएगा और प्रदेश में वन स्टेट वन इलेक्शन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस कदम के जरिए सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी पंचायतों के चुनाव एक साथ हों और प्रशासनिक कार्यों में कोई व्यवधान न आए।
राजस्थान में यह परिवर्तन लोकतंत्र को और मजबूत बनाने का प्रयास है, जो पंचायत स्तर पर प्रशासनिक सुधारों और चुनावी प्रक्रिया की कुशलता को बढ़ाएगा। राजस्थान पंचायतों के सरपंचों का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश यहां से डाउनलोड करें